V.S Awasthi

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‌मिट्टी के दिये

प्रतियोगिता हेतु रचना 
‌मिट्टी के दिये 
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 मिट्टी कहती दिये हमारे सबसे सुन्दर होते हैं।
जो कुम्हार के हाथों से चाक में चढ़ कर बनते हैं।।
तुम मेरे दिये जलाओ,तो मैं भी खुश हो जाऊंगी।
हर गरीब की कुटिया में अपना प्रकाश फैलाऊंगी।।
फिर गरीब के बीबी, बच्चे खुशी से ज़श्न मनायेंगे।
लईया, गट्टे और खिलौने जी भर के वो खायेंगे।।
उनका भी त्योहार मनेगा दीपक घर में वो जलायेंगे।
लक्ष्मी, गणेश की पूजा कर फिर दीपावली मनायेंगे।।
घर में मिट्टी के दीए जलाकर मां धरती का सम्मान करो।
गरीब कुम्हारों के बच्चों का‌ सब मिल कर के उदर भरो।।
फिर लक्ष्मी मां खुश हो कर सबके घर के भंडार भरेगी।
गणपति बप्पा की कृपा दृष्टि जीवन में सदा रहेगी।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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3 Comments

Mohammed urooj khan

23-Oct-2023 01:40 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

23-Oct-2023 08:26 AM

👌👏

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Reena yadav

21-Oct-2023 10:34 AM

👍👍

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